कारगिल विजय दिवस: डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, वैशाली, बिहार में शहीदों को किया गया नमन

कारगिल विजय दिवस: डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, वैशाली, बिहार में शहीदों को किया गया नमन

डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, वैशाली, बिहार में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें 1999 के कारगिल युद्ध के शहीदों की बहादुरी और बलिदान को याद किया गया। कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राओं ने पूरे सम्मान के साथ भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन तथा राष्ट्रगान से की गई।

समारोह में अतिथियों का सम्मान फूल और अंगवस्त्रम भेंट करके किया गया। लेफ्टिनेंट रिशु कुमार ने कार्यवाहक कुलपति डॉ. बसंत कुमार सिंह और रजिस्ट्रार डॉ. बृजेश सिंह सहित विशेष अतिथि रिटायर्ड सूबेदार मेजर अरुण कुमार सिंह और रिटायर्ड सूबेदार मेजर मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह को यह सम्मान प्रदान किया।

अपने संबोधन में रजिस्ट्रार डॉ. बृजेश सिंह ने कारगिल युद्ध के महत्व पर प्रकाश डाला और हमारे सैनिकों के अदम्य साहस की सराहना की। साथ ही उन्होंने पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी तथा अशफाकुल्लाह खान को याद करते हुए कहा कि फांसी के तख्त पर जाने से पहले 19 दिसंबर, 1927 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने अपना अंतिम शेर पढ़ा था, जो इस प्रकार था-

"मालिक तेरी रजा रहे, और तू ही तू रहे बाकी न मैं रहूं न मेरी आरजू रहे, जब तक तन में सांस, रगों में लहू रहे तेरा ही जिक्रेयार और तेरी ही जुस्तजू रहे।" इसके बाद, कार्यवाहक कुलपति डॉ. बसंत कुमार सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए युवाओं को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम का सबसे भावुक पल तब आया जब विशेष अतिथि, रिटायर्ड सूबेदार मेजर अरुण कुमार सिंह और रिटायर्ड सूबेदार मेजर मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह ने अपने सैन्य जीवन के अनुभव साझा किए। उनकी कहानियों ने सभी को देशभक्ति की भावना से भर दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी राष्ट्र सेवा के सम्मान में उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया।

मंच का संचालन एनसीसी कैडेट आर्या कुमारी पांडे के द्वारा किया गया तथा उन्हें एनसीसी के अंडर ऑफिसर रैंक से भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन सहायक रजिस्ट्रार (छात्र मामले) श्री ओंकार शरार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


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